क्या अपने कभी सोचा है कि हमारे बजुर्ग क्यों इतना लंबा जीते थे, वो इतने ताकतवर कैसे थे, हमारे बजुर्ग आज भी हमसे ज्यादा हिम्मत वाले और तंदरुस्त कैसे हैं, वो ऐसा क्या खाते थे और ऐसा क्या करते थे कि जिसकी वजह से वह हमेशा खुश और सेहतमंद रहते थे। डिप्रेसशन(Depression), स्ट्रेस(Stress), ब्लड प्रेशर(Blood Pressue), दिल की बीमारियां(Heart Attack), कैलिस्ट्रोल(Chelostrol), मोटापा(Fat/Obesity), शुगर(Sugar), कैंसर(Cancer) आदि यह बीमारियां उनको क्यों नहीं होती थी। अगर आप किसी बजुर्ग से बातचीत करते हैं तो आप कभी भी ऐसी बीमारी जैसा कोई शब्द उनके मुंह से नहीं सुनोगे। ऐसा लगता है कि यह सभ शब्द उनके समय में होते ही नहीं थे। पर आजकल छोटे-छोटे बच्चे बहुत गम्भीर बीमारियों के शिकार हैं, हर घर में कोई न कोई एक वयक्ति तो बीमार मिल ही जायेगा, सभी तरफ़ बीमारियों की भरमार है। हमें क्यों हर चीज़ को इतना सोच कर करना पड़ता है और फिर भी हम ज्यादा खुश और सेहतमंद ज़िन्दगी नही जी पा रहे हैं…
अगर आपको इन सभ सवालों के जवाब चाहिए और आप अपनी ज़िंदगी और सेहत को सही रखना चाहते हैं तो यह Post आपके लिए है इसको पूरा जरूर पढ़ें। निशचिंत रहिये यहां मैं आपको कोई महँगी Diet, Exercise, Formula या कोई ऐसी तपसया नही बताने वाला हूँ जो आपके लिए करना कठिन हो जा कईओं के लिए असंभव हो।
शुरू करने से पहले आपसे एक सवाल, आप अपनी ज़िंदगी और अपने आप से क्या चाहते हो?
इन बातों का ध्यान रखें यकीन मानिए सब कुछ बदल जायेगा
1. सोने और उठने का समय
आजकल की दौड़ भाग की ज़िंदगी में सबसे ज्यादा अगर कोई चीज गड़बड़ हुई है तो वह है हमारी नींद। ज्यादतर लोग रात को बहुत देरी से सोते हैं, जिसकी वजह से सुबह देरी से उठते हैं। रात और दिन की यह देरी सब चीजों को हिला देती है, डॉक्टरों की माने तो एक इन्सान को औसतन 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए, ज्यादा और कम दोनो ही हमारी सेहत के लिए अच्छे नहीं है। नींद एक तरह से हमारे शरीर, दिमाग और मांसपेशियों को रिपेयर करने का काम करती है, इस लिए शरीर को पूरी की जरूरत होती है नहीं तो शरीर की कार्य क्षमता कम हो जाती है। नींद पूरी ना लेने से Heart Attack, Cancer, Stress आदि बीमारियां का खतरा बढ़ जाता है,और अगर आप पुराने समय को देखें तो हमारे बजुर्ग भी इस बात को अछि तरह समझडे थे इसी लिए वह जल्दी सो जाते थे और सुबह मुर्गे की बांग से ही उठ जाते थे, उस समय ना घड़ी की जरूरत थी और ना कोई अलार्म की जरूरत पड़ती थी। पुराने समय मे आजकल जैसे TV, Mobile या Youtube वगैरा नहीं थी इसी लिए लोग जल्दी सो जाते थे और सुबह जल्दी उठकर अपने कामों को शुरू कर देंते थे। आजकल बिस्तर पर लेटते ही हर कोई अपना मोबाइल पकड़ लेता है और फ़िर घंटो तक उसी में धुस जाता है, वो समय जो सोने के किये बिल्कुल सही था हमने उसको गवाँ लिया और हमारे दिमाग को ऊट-पटांग चीज़े सोचने के लिए दे दीं जो वह सारी रात हमारे सोने के बाद भी Process करता रहेगा, जिसकी वजह से नींद की Quality कम हो जाती है। कोशिश करें के सोने के समय दिमाग को बिल्कुल ख़ाली छोड़ दें। क्योंकि दिमाग एक Computer या Mobile जैसा है, अपने जिस भी Application या Option को Click कर दिया यह उसी पे काम करना शुरू कर देंता है, इसलिए हमेशा सही Apps और Options को चुनिए और यह चुनाव पूरी तरह से आपके हाथ में है।
इसलिए अगर आप अपनी ज़िंदगी में बदलाव चाहते हैं तो पहले अपना सोने जागने का समय बदली करें यह आपका पहला कदम है, अगर आप भी सोने से पहले समय बर्बाद कर रहे हैं तो आज ही संकल्प लें कि अपनी नींद को पहले देखना है न कि Yutube Videos को!
2. परिवार और रिश्तों की एहमियत समझें
इस जमाने में कोई किसी का नहीं है, सभ मतलब खोर हैं। यह बात हमने अक्सर सुनी या कही भी है, कई बार किसी के साथ या अपने साथ कुछ ऐसा होता देख जिसमे किसी अपने ने अपने को नुकसान पहुंचाया हो, ठगा हो या मतलब खोरी की हो तो हम अक्सर ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। पर इसका उल्टा भी हमारे साथ होता है, हमारा परिवार, हमारे दोस्त, हमारे चाहने वाले हमें बिना किसी शर्त या बिना किसी मतलब से हमें प्यार करते हैं, हमारे लिए सोचते हैं और दिन रात हमारे लिए काम करते हैं। पर शायद हम कभी उनकी एहमियत को नहीं समझते क्योंकि वो लोग हमें बिना मेहनत किये मुफ्त में मिल गए हैं और मुफ्त में मिली चीज़ों की कदर नहीं होती। हमारी ज़िंदगी में हमें हर तरह के लोग मिलते हैं कुछ अच्छे, कुछ बुरे, कुछ बहुत ज्यादा अच्छे, कुछ बहुत ज्यादा बुरे, मानो यह ज़िन्दगी हाथ की उंगलियों जैसी है कोई भी एक समान नहीं है। पर फिर भी हमें सभी की जरूरत पड़ती है, अगर सभी उंगलियां एक समान होती , सभी बड़ी होती या सभी छोटी होती तो क्या होता? सोचो ! हर इक चीज़ को सोचने का एक ढंग होता है या आप कह सकते हैं सही सोचना एक कला है, और ख़ुशी की बात यह है कि यह कला सीखी जा सकती है।
रिश्तों में सभ से बड़ा रोल सोच ही निभाती है, कोई भी रिश्ता हो आपके लिए उसका महत्व होता है। आप रिश्तों के बिना नहीं रह सकते यह एक सचाई है, पर हम कितने ख़ुश हैं अपने रिश्तों से यह सोचना बहुत जरूरी है। हम कभी भी किसी चीज के महत्व को समझने की कोशिश नहीं करते, अगर कोई चीज़ हमें चाहिए तो वोह क्यों चाहिए अगर नहीं चाहिए तो क्यों नहीं चाहिए। अपने परिवार, दोस्त मित्रों या कोई भी जो इंसान जो आपसे जुड़ा हुआ है उनको समय दें, उनके साथ बैठें, कुछ उनकी सुनें, कुछ अपनी कहें। कभी भी किसी के साथ बातचीत करते समय सिर्फ अपनी बातें न करें और न कुछ ऐसा कहें कि सामने वाला आपको Ignore करने लगे या आपके पास बैठना भी पसंद न करे। दूसरों की बात जरूर सुने और उनकी बात पूरी होने दें भीच में कभी न टोकें। आप देखेंगे कि एक सही नजरिये से की गई बातचीत आपको आनद देगी और आप हल्का महसूस करोगे।
पुराने ज़माने में यह बात बहुत आम थी, बड़े-बड़े परिवार इकठ्ठे रहते थे, आपस में बातचीत करते थे, जब भी उनको समय मिलता था वह इकठ्ठे बैठ जाते थे। औरतें भी अक्सर झुंड में बैठकर काम करती थीं और साथ-साथ उनकी बातचीत और हसीं मजाक चलता रहता था जिसकी वजह से Stess नाम का कीड़ा उनके पास भी नहीं आता था। मर्द भी जब काम से काम से Free होते थे तो बड़े-बड़े पीपल, बरगद (बोहड़ पंजाबी में) या कोई घनी छाँव वाले पेड़ के नीचे बैठ कर बातें करते थे या पत्ते खेलते थे, उस समय वह लोग मनोरंजन के साथ-साथ अपने सुख दुख भी बांट लेते थे। आज के ज़माने में जो काम बड़े-बड़े डॉक्टर इतने पैसे लेकर करते हैं वह काम उस ज़माने में लोग जाने-अनजाने ऐसे ही कर लेते थे और वह काम है Depression/Stress का इलाज।
तो थोड़े समाजिक बनिये, दोस्त बनाइये, और अपना दिल उनके सामने खोलिये आप महसूस करेंगे कि ज़िन्दगी उतनी भी मुश्किल या बुरी नहीं जितनी हमने सोची है और बना दी है।
किसी दिल के अस्पताल के Operation Theater के बाहर लिखा हुआ था “अगर यह दिल किसी अपने या अपने दोस्तों के सामने खोला होता तो आज हमें नहीं खोलना पड़ता”
3. संतुलित भोजन खाएं
बात करते हैं संतुलित भोजन की, क्या है यह और कहां से मिलेगा, बहुत महँगा होता होगा, कौन पड़ेगा Dieting के झमेले मैं, यह सभ शहरी और अमीर लोगों के चोंचले हैं। जब भी सही और संतुलित खाने खाने की बात आती है तो हम ऐसे ही सोचते हैं पर घबराइये मत हम ऐसा कुछ भी नहीं करने वाले है, सबसे पहले यह समझते हैं कि संतुलित भोजन का क्या मतलब है, एक ऐसा भोजन जिसमे उचित मात्रा में सभी जरूरी पोषक तत्व मौजूद हों जो हमारे शरीर को काम करने के लिए चाहिए, बस ! इससे ज्यादा कुछ भी जानने की जरूरत न कभी थी और न कभी होगी। तो कहां से मिलेगा ऐसा संतुलित भोजन जो हमें पूरी ऊर्जा दे और हमारी शरीर रूपी मशीन को नए जैसा बना के रखे तो जवाब बहुत सीधा है, आपके घर की रसोई में। जी हां, एक आम घर की रसोई में वो सारा सामान बहुत आसानी से मिल जाता है जो एक सन्तुलित भोजन बनाने के लिये चाहिए। आपको कुछ नयाँ बनाने की जरूरत नहीं, न कुछ नयां बाजार से लाना है जो कुछ भी घर पर है उसी को सगी ढंग से उपयोग में लाना है। मिसाल के तौर पर आप पानी, रोटी, सब्जी, दाल, चने, राजमाह, चावल, दूध, लस्सी, चाय, सलाद, फल अगर मासाहारी हो तो मांस, मश्ली आदि। इन सभी चीजों में प्रोटीन(Protein), कार्बोहाइड्रेट(Carbohydrates), हेल्थी फैट्स(Healthy Fats), फाइबर(Fiber) और बाकी सभी पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में है। हमें वही सभ खाना है जो रोज़ खाते हैं मगर सही ढंग से।
1. शुरू करते हैं पानी से क्योंकि पानी सभसे जरूरी तत्व है, इसलिये लिस्ट में भी पहले नंबर पर रखा है। अपने दिन की शुरुवात पानी से करें, सुबह उठकर सबसे पहले पानी जा सेवन करें, कोई निर्धारित पैमाना नहीं है कि कितना पीना है, आप जितना पी सकते हो उतना पीओ और कोशिश करो कि पूरे दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पीओ, इससे आपके शरीर को अनगिनत फायदे हैं जो मैं अलग से Post में बताऊंगा।
2. अगर आप चाय पीते हो तो कभी खाली पेट अकेली चाय नहीं पीनी चाहिए, उसके साथ कोई बिस्किट, रस का चाहे एक टुकड़ा लें जरूर लें और अगर आप चाय के बहुत ज्यादा शौकीन हैं तो उसको थोड़ा कम कर दें चाहे 5 घूंट ही कम करें लेकिन उसको कम करें, और धीरे-धीरे एक कप तक ले आएं जो आपके शरीर के लिए बहुत लाभदायक होगी। ऐसे ही आपने शक्कर को कम करना है, धीरे-धीरे शक्कर को कम करते हुए उसको बिल्कुल कम कर दें जिससे आपकी चाय मीठी भी रहे और शक्कर के Side Effects से हम बच भी सकें। हो सके तो हफ्ते में एक दिन 0 Sugar दिन मनाएं, जानी सभ कुछ फ़ीका। और हां, इन छोटे कदमों से आपकी सेहत तो अच्छी होगी ही पैसों की भी बचत होगी।
3. खाना खाने के समय खाना आराम से खाएं , जितनी आपको भूख है उससे थोड़ा सा कम खाना अपनी प्लेट में डालें। खाने में रोटी, चावल, दाल, सब्जी, सलाद, दही आदि को शामिल करें। आप हमेशा यह याद रखें कि आप अपने शरीर को ऊर्जा देने के लिए खा रहे हैं ना कि सिर्फ पेट भरने के लिए। अपने ब्रेकफास्ट(Breakfast) को कभी न भूलें और अच्छी तरह खाएं क्योंकि रातभर सोने के बाद और सारा दिन काम करने के लिये दिन की शुरुवात अच्छे भोजन से करें। दोपहर के खाने को सुभह के मुकाबले थोड़ा हल्का रखें और रात को बिल्कुल हल्का फुल्का। अगर आप रोटी ज्यादा खाते हैं और दाल-सब्जी कम तो अभ से उल्टा कर दीजिए, दाल-सब्जी, सलाद की मात्रा को बड़ा दीजिये और रोटी कम खाइए। अगर हो सके तो(जरूरी नहीं है) दिन सुभह,दोपहर और रात के खाने के इलावा दिन में कम से कम 2 खाने और जोड़ दें, जैसे सुबह और दोपहर के खाने के बीच एक समय सलाद जा कोई फल खा सकते हैं, इसी तरह दोपहर और रात के कहने के बीच भी कोई सैंडविच, शेक या कोई भी स्नैक अगर कुछ भी न हो तो खीरा ही सही। इससे आपके शरीर को लगातार ऊर्जा मिलती रहेगी।
खाने बनाते समय ज्यादा तेल का इस्तेमाल मत करें, सरसों के तेल का उयोग काफी लाभदायक है पर उचित मात्रा में।अगर आप तेल में तली-भुनी, तेल से लथपथ या बहुत जा जबरदस्त तड़के वाले मसालेदार खाने पसंद करते हैं तो इससे थोड़ा परहेज करिये। क्योंकि ज्यादा तलने जा भुनने से खाने के सभी पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं और वो खाना शरीर को फायदे की बजाए नुकसान करता है, जिसकी वजह से असिडिटी(Acidity), बदहज़मी, पेट में गड़बड़ी और सीने में जलन आदि रहते है और सबसे ज्यादा नुकसान लीवर को होता है। खाने को कम तेल में पकाएं और इतना ज्यादा न पकाएं के सब्जी पोषक तत्त्व नष्ट हो जाएं।
जंक फूड(Junk फ़ूड) और मिठाईयां खाने का बहुत मन है तो जितना कम से कम में आपका गुजारा हो सकता है उससे करें। विवाह-शादी या पार्टियों में जाकर जितना कम खा सकते हैं उतना कम खाएं, शगुन के पैसे वसूलने के चक्कर में अपना नुकसान न करें।
फिर से बात करते हैं पुराने ज़माने और पुराने लोगों की, तो उस समय खान-पान बहुत ही सादे थे। आज के ज़माने जैसे खाने को इतना कुछ नही था और न ही जगह-जगह होटल(Hotel), रेस्टोरेंट(Restaurant) और ना फ़ास्ट फ़ूड के ठेले थे। लोगों को घर का खाना ही मिलता था, जिसमे बाजरा, ज्वार, गेंहू, मक्की आदि के आटे की रोटी, सब्जियां या डालें, दूध, दही, देसी घी आदि भरपूर मात्रा में था। वह लोग बस यही कुछ खाते थे और पूरी तरह स्वस्थ थे। आजकल हमारे पास खाने की इतना ज्यादा Options है कि हमें यह नहीं पता चलता कि क्या खाएं और क्या नहीं। आजकल जितनी ज्यादा हमें जानकारियां मिल रही हैं हम उतना ज्यादा दुविधाओं में घिर रहे हैं, Confuse मत होइए बस जो आपके पास है उसको सही ढंग से पकाना और खाना सीखना जरूरी है।
4. दिन में सिर्फ 15 मिनट कसरत के लिए निकालें
सिर्फ 15 मिनट? इससे क्या होगा! मजाक लग रही है यह बात? जी हां सिर्फ 15 मिनट, 24 घंटो में से सिर्फ इतना कम समय देना है अपने आप को, इसमे आप जॉगिंग(Jogging), रनिंग(Running), वाल्क(Walk), कार्डियो(कार्डियो), पूछउप(Pushups), योगा(Yoga) कुछ भी जो आप आसानी से कर सकते हैं, शोध करता और डॉक्टर बताते हैं कि नियमत रूप से अगर 15 मिनट की इस आदत को अपना लिया जाए तो आपके शरीर को इतने फायदे हैं जिन्हें आप सोच भी नहीं सकते। Exercise से आपके ह्रदय की गति बढ़ने से उसमे ज्यादा खून की Supply होती है जिससे दिल के रोगों का खतरा कम हो जाता है और आपका मेटाबोलिज्म(Metabolism) भी तेज हो जाता जिससे पाचन शक्ति, लीवर और Fat Loss में मदद मिलती है। और भी बहुत सारे फायदे लिए जा सकते हैं इन 15 मिनटों के।
एक बार जब आपको इसकी आदत पढ़ गई और आपको फायदे नज़र आने लगे तो आपके 15मिनट कब 30 और 45 मिनट में बदल जाएंगे आपको पता भी नही चलेगा। आपको बहुत छोटे उद्देश्य(Goal) से बहुत छोटे कदम से शुरू करना है तांकि आपको शुरू करने में तकलीफ न हो और जो शुरू किया है उसे जारी रखना आसान हो।
हमारे बजुर्गों ने अपनी पूरी ज़िंदगी में शारीरक काम ज्यादा किये हैं, मीलों-मील पैदल चलना, साईकल पर जाना और सुख सुविधाओं की कमी होने के कारण वह लोग अपने शरीर से सारे काम लेते थे, जिसकी वजह से काम के साथ-साथ उनकी कसरत भी होती थी। अभ सोचिये जो इंसान दिनभर इतनी शरीरक मेहनत कर रहा है उसका खाया-पीया कैसे नही पचेगा, उनको इतनी ऊर्जा की जरूरत पड़ती थी जो कि बहुत ज्यादा खाने से ही पूरी हो सकती थी। पर आज के ज़माने में हर चीज को आसान बना दिया गया है और हमारा शरीर भी आराम का आदी हो चुका है, हम पैदल नहीं चल सकते, साईकल चलाना हमारी शान के खिलाफ है इसी वजह से शरीर की ऊर्जा खर्च नहीं होती और वह मोटापे में बदल जाती है। हमारे शरीर को जितनी ऊर्जा चाहिए होती है वह उसे खर्च कर देता है और बाकी को Store कर लेता है यह सोच कर कि बाद में जरूरत पड़ेगी तो जहां से ले लूंगा पर हमारी ऊर्जा खर्च नही होती और परत-दर-परत जमा होती रहती है। यही मोटापा है और यही इसका कारण है।
5. समाज सेवा जरूर करें
“कहते हैं किसी की जान बचाने के लिए डॉक्टर होना जरूरी नहीं है, आपका दान किया खून, समय पर की किसी की मदद भी किसी की जान बचा सकते है किसी को नई जिंदगी दे सकते हैं “। इसी तरह और भी कई तरह के काम हैं जो इंसान होने के नाते हमें दूसरे इंसानों के लिए करने चाहिए जैसे खूनदान, किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई में मदद, किसी की दवाई में मदद, हमारे वातारण को बचाने के लिए काम, पानी को बचाने के लिए काम, किसी NGO से जुड़ कर काम किया जा सकता है, पौदे लगाए जा सकते हैं या जैसे भी आप आसानी से कर सकते हो। जरूरी नही है कि सिर्फ पैसों से मदद की जा सकती है, अगर आपके पास पैसों की कमी है और आप अपना समय दे सकते हो तो आप समय देकर मदद कर सकते हैं और अगर समय नहीं है पैसे हैं तो आप पैसे से मदद कर सकते हैं। तरीका कोई भी हो बस भावना एक होनी चाहिए और वह है बिना किसी मतलब के किसी की मदद करना। जब आप किसी की मदद करते हो तो एक तो आप किसी की ज़िंदगी आसान कर रहे हो और दूसरा आप लोगों से ज्यादा जुड़ रहे हो जिससे आपको लोगों की ज़िंदगी की दुख तकलीफों के बारे में एहसास होगा और आप ज्यादा संवेदनशील बनोगे। इंसानियत के प्रति आपका नज़रिया बदलेगा और आपका ह्रदय के भाव आपको ज्यादा बेहतर इंसान बनने में मदद करेंगे। आप जब भी किसी की मदद करोगे आप ज्यादा अच्छा महसूस करोगे, एक खुशी का एहसास होगा जिससे आपके सोचने का तरीका, ज़िन्दगी जीने का तरीका और लोगो से रिश्ते और व्हवहार सभ बदल जायेगा। अंत आप महसूस करेंगे कि आप ज़िन्दगी से ज्यादा खुश हैं, और यही खुशी तो हमें चाहिए।
सिखों के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने ऐसा ही एक बहुत बड़ा सिद्धान्त दिया है “किरत करो वंड के छको” मतलब के दबा के मेहनत करो और कमाई करो, पर जो कमाया है वो बांट के खाओ, किसी की मदद करो, जरूरतमंद की जरूरत के समय काम आओ, इंसानियत के प्रति अपने फ़र्ज़ को कभी मत भूलो। तो यह बात जितनी 500साल पहले सच थी उतनी ही आज भी है। अपने दिल में हमेशां दूसरो के लिए हमदर्दी और प्यार जरूर रखें।
यह सभी बातें कोई नईं बातें नहीं हैं, हम सभ को पता ही हैं बस जरूरत है अपनी ज़िंदगी में उतारने की। छोटे-छोटे कदमों से मंज़िल तक पहुंचा जा सकता है बशतरे हम लगातार चलते रहें। हर रोज कुछ नयां सीखें, अपने आप को अपनो को प्यार करें। ज़िन्दगी को गवाने से पहले ज़िन्दगी जी लें तभी इस दुनिया में आने का कोई फायदा है..